85. भारत के मिट्टी की – Bharat ke mitti ki
भारत के मिट्टी की खातिर, हम तन मन धन मिटा देंगे
अगर ज़रूरत पड़े कभी मेरी, हम जान तक लुटा देंगे ।
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Bharat ke mitti ki khatir, hum tan man dhan mita denge
Agar zarurat pare kabhi meri, hum jaan tak luta denge.
86. भारत में बसी – Bharat me basi | Desh Bhakti Shayari
भारत में बसी हज़ारों कहानियां
सबका अलग अभिलाषा है
विभिन्न हो ज़ुबां चाहे यहां सब की
बोलते सब दिल की भाषा हैं ।
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Bharat me basi hazaron kahaani,
Sabka alag abhilasha hai
Vibhinn ho zuban chahe yahan sab ki,
Bolte sab dil ki bhaasa hai.
87. देश के लिए
देश के लिए मर मिटना कुबूल है
हमें अखंड भारत के सपने का जूनून है हमें|
88. दिल से निकलेगी – Dil Se Niklegi
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फत,
मेरी मिटटी से भी खुशबू-ए-वफ़ा आयेगी।
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Dil Se Niklegi Na Mar Kar Bhi Vatan Ki Ulfat
Meri Mitti Se Bhi Ḳhushbu-E-Wafa Aaegi.