Hasya Kavita | 11+ Best Hasya Kavita in Hindi

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HASYA KAVITA | HINDI HASYA KAVITA | HASYA KAVITA IN HINDI

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1. एक दिन | hindi hasya kavita

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hasya kavita | hasya kavita in hindi

एक दिन मामला यों बिगड़ा
कि हमारी ही घरवाली से
हो गया हमारा झगड़ा
स्वभाव से मैं नर्म हूं
इसका अर्थ ये नहीं
के बेशर्म हूं
पत्ते की तरह कांप जाता हूं
बोलते-बोलते हांफ जाता हूं
इसलिये कम बोलता हूं
मजबूर हो जाऊं तभी बोलता हूं
हमने कहा-“पत्नी हो
तो पत्नी की तरह रहो
कोई एहसान नहीं करतीं
जो बनाकर खिलाती हो
क्या ऐसे ही घर चलाती हो
शादी को हो गये दस साल
अक्ल नहीं आई
सफ़ेद हो गए बाल
पड़ौस में देखो अभी बच्ची है
मगर तुम से अच्छी है
घर कांच सा चमकता है
और अपना देख लो
देखकर खून छलकता है
कब से कह रहा हूं
तकिया छोटा है
बढ़ा दो
दूसरा गिलाफ चढ़ा दो
चढ़ाना तो दूर रहा
निकाल-निकाल कर रूई
आधा कर दिया
और रूई की जगह
कपड़ा भर दिया

– शैल चतुर्वेदी


2. कितनी बार कहा | hindi hasya kavita for students

कितनी बार कहा
चीज़े संभालकर रखो
उस दिन नहीं मिला तो नहीं मिला
कितना खोजा
और रूमाल कि जगह
पैंट से निकल आया मोज़ा
वो तो किसी ने शक नहीं किया
क्योकि हमने खट से
नाक पर रख लिया
काम करते-करते टेबल पर पटक दिया-
“साहब आपका मोज़ा।”
हमने कह दिया
हमारा नहीं किसी और का होगा
अक़्ल काम कर गई
मगर जोड़ी तो बिगड़ गई
कुछ तो इज़्ज़त रखो
पचास बार कहा
मेरी अटैची में
अपने कपड़े मत रखो
उस दिन
कवि सम्मेलन का मिला तार
जल्दी-जल्दी में
चल दिया अटैची उठाकर
खोली कानपुर जाकर
देखा तो सिर चकरा गया
पजामे की जगह
पेटीकोट आ गया
तब क्या खाक कविता पढ़ते
या तुम्हारा पेटीकोट पहनकर
मंच पर मटकते

– शैल चतुर्वेदी


3. एक माह से लगातार | hasya kavita for kids

एक माह से लगातार
कद्दू बना रही हो
वो भी रसेदार
ख़ूब जानती हो मुझे नहीं भाता
खाना खाया नहीं जाता
बोलो तो कहती हो-
“बाज़ार में दूसरा साग ही नहीं आता।”
कल पड़ौसी का राजू
बाहर खड़ा मूली खा रहा था
ऐर मेरे मुंह मे पानी आ रहा था
कई बार कहा-
ज़्यादा न बोलो
संभालकर मुंह खोलो
अंग्रेज़ी बोलती हो
जब भी बाहर जाता हूं
बड़ी अदा से कहती हो-“टा….टा”
और मुझे लगता है
जैसे मार दिया चांटा
मैंने कहा मुन्ना को कब्ज़ है
ऐनिमा लगवा दो
तो डॉक्टर बोलीं-“डैनिमा लगा दो।”
वो तो ग़नीमत है
कि ड़ॉक्टर होशियार था
नीम हकीम होता
तो बेड़ा ही पार था
वैसे ही घर में जगह नहीं
एक पिल्ला उठा लाई
पाव भर दूध बढा दिया
कुत्ते का दिमाग चढ़ा दिया
तरीफ़ करती हो पूंछ की
उससे तुलना करती हो
हमारी मूंछ की
तंग आकर हमने कटवा दी
मर्दो की रही सही
निशानी भी मिटवा दी

– शैल चतुर्वेदी


4. वो दिन याद करो | Hasya Kavita

वो दिन याद करो
जब काढ़ती थीं घूंघट
दो बीते का
अब फुग्गी बनाती हो फीते का
पहले ढ़ाई गज़ में
एक बनता था
अब दो ब्लाउज़ो के लिये
लगता है एक मीटर
आधी पीठ खुली रहती है
मैं देख नहीं सकता
और दुनिया तकती है

– शैल चतुर्वेदी

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