Desh Bhakti Kavita | 21+ Best Desh Bhakti Kavita in Hindi

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DESH BHAKTI KAVITA | BEST DESH BHAKTI KAVITA IN HINDI

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1. Yeh Un Dino Ki – यह उन दिनों की

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यह उन दिनों की बात थी,
चुनौतियों से भरी हर रात थी,
जब वीर जवानों ने हमारे
यह संदेश भिजवाया था,
शहीद होकर अमर हो गए
और देश आजाद करवाया था।
हां, यह देश गुलजार है
हवा में इसके प्यार है
छोटे बड़े सब अपने हैं,
खुली आंखों में भी सपने हैं।
हर परिंदा आजाद है,
सभी भाषाओं का अनुवाद है,
हर बूंद में प्यास है,
हर रस्मे मिठास है।
रंगमंच है खुशियों का,
और भविष्य का भी अंजाम है
ज्यादा या थोड़ा ही सही
पर हर दिल में मौजूद कलाम है।

के आंखों में आग
अब भी वही पुरानी है
कि हर दिल में मौजूद
आज भी वही जवानी है
सैकड़ों अपनों को हमने खोया है
रातों में यह दिल,
तड़प-तड़प कर रोया है।
हर एक जान का जवाब चाहिए,
हर एक कतरे का हिसाब चाहिए
कि दुश्मनों जरा दूर से
जख्म अभी भरा नहीं,
के बिखर कर तार-तार हो जाओगे
जवान अभी मरा नहीं।
उस लहू का हर एक बूंद
अब भी सीने में बहता है
उनकी कुर्बानी के हर एक लम्हे को
यह दिल सलाम करता है।
सरहद पर गिरने वाला,
हर एक जिस्म नूरानी था
मरते-मरते 10 मार गिराया,
हां वह खून हिंदुस्तानी था।

रंग बदलता हर मौसम
बस यही सुहाना लगता है,
मेरे मुल्क की मिट्टी के आगे
संसार पुराना लगता है।
सबसे अलग मेरे
भारत की रवानी है,
हर गुजरते पल में इसके,
हजारों अनसुनी कहानी है।
हां हम इस देश के वासी हैं
जहां रोज ही दंगा रहता है,
यहां आम आदमी सड़कों पर
आधा सा नंगा रहता है
इस हाल में भी,
इस दौर में भी,
हर दिल में तिरंगा रहता है ।

Yeh un dino ki baat thi ,
Chunotiyon se bhari har raat thi ,
Jab veer jawano ne humare ,
Yeh sandes bhejwaya tha ,
Saheed ho kar amar ho gaye ,
Aur desh aazad karwaya tha.
Haan ye desh gulzaar hai ,
Hawa mein iske pyaar hai ,
Chhote bade sab apne hain ,
Khuli aankhon me bhi sapne hain ,
Har parinda aazad hai ,
Sabhi bhasaon ka anuwaad hai ,
Har boond mein pyaas hai ,
Har ras me mithaas hai .
Rangmanch hai khushiyon ka ,
Aur bhavishya ka bhi anjam hai ,
Jyada ya thoda hi sahi ,
Par har dil me mauzood KALAM hai ..
Ke aankhon me aag ,
Ab bhi wahi purani hai ,
Ke har dil me mauzood ,
Aaj bhi wahi jawani hai .

Saikdon apno ko humne khoya hai ,
Raaton me yeh dil ,
Tadap-Tadap kar roya hai .
Har ek jaan ka jawab chahiye ,
Har ek qatre ka hisab chahiye ,
Ke dushmano zara door se ,
Zakhm abhi bhada nahin ,
Ke bikhar kar Taar-Taar ho jaoge ,
Jawan abhi mara nahin .
Us lahoo ka har ek boond ,
Ab bhi seene me behta hai ,
Unki qurbaani ke har ek lamhe ko ,
Yeh dil salam karta hai .
Sarhad par girne waala ,
Har ek jism nurani tha ,
Marte-Marte dus maar giraya ,
haan wo khoon Hindustani tha.

Rang badalta har mausam ,
Bas yahin suhana lagta hai ,
Mere mulq ki mitti ke aage ,
Sansaar purana lagta hai .
Sabse alag mere ,
Bharat ki rawani hai ,
Har ek guzarte pal me iske ,
Hazaron ansuni kahani hai .
Haan hum is desh ke waasi hain ,
Jahan roz hi danga rehta hai ,
Yahan aam aadmi sadkon par ,
Aadha sa nanga rehta hai ,
Is haal me bhi , Is daur me bhi ,
Har dil mein Tiranga rehta hai ..

–AQUIB AHMED


2. Jahan Daal-Daal Par – जहाँ डाल-डाल पर | desh bhakti ki kavita

जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा
वो भारत देश है मेरा
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहाँ ऋषि मुनि जपते प्रभु नाम की माला
जहाँ हर बालक एक मोहन है और राधा हर एक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा
वो भारत देश है मेरा
अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग है कहीं हैं होली के मेले
जहाँ राग रंग और हँसी खुशी का चारों ओर है घेरा
वो भारत देश है मेरा
जब आसमान से बातें करते मंदिर और शिवाले
जहाँ किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले
प्रेम की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा

– राजेंद्र किशन

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