21. Aazadi-ilahi Khair – आज़ादी-इलाही ख़ैर! | Desh bhakti kavita in hindi
इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं।
हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं।
कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं।
मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं।
असीराने-क़फ़स से काश, यह सैयाद कह देता,
रहो आज़ाद होकर, हम तुम्हें आज़ाद करते हैं।
रहा करता है अहले-ग़म को क्या-क्या इंतज़ार इसका,
कि देखें वो दिले-नाशाद को कब शाद करते हैं।
यह कह-कहकर बसर की, उम्र हमने कै़दे-उल्फ़त में,
वो अब आज़ाद करते हैं, वो अब आज़ाद करते हैं।
सितम ऐसा नहीं देखा, जफ़ा ऐसी नहीं देखी,
वो चुप रहने को कहते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं।
यह बात अच्छी नहीं होती, यह बात अच्छी नहीं करते,
हमें बेकस समझकर आप क्यों बरबाद करते हैं?
कोई बिस्मिल बनाता है, जो मक़तल में हमें ‘बिस्मिल’,
तो हम डरकर दबी आवाज़ से फ़रियाद करते हैं।
-राम प्रसाद बिस्मिल
22. Desh Hit Piada Hue – देश हित पैदा हुये | desh bhakti kavita
देश हित पैदा हुये हैं देश पर मर जायेंगे
मरते मरते देश को जिन्दा मगर कर जायेंगे
हमको पीसेगा फलक चक्की में अपनी कब तलक
खाक बनकर आंख में उसकी बसर हो जायेंगे
कर वही बर्गें खिगा को बादे सर सर दूर क्यों
पेशबाए फस्ले गुल है खुद समर कर जायेंगे
खाक में हम को मिलाने का तमाशा देखना
तुख्मरेजी से नये पैदा शजर कर जायेंगे
नौ नौ आंसू जो रूलाते है हमें उनके लिये
अश्क के सैलाब से बरपा हश्र कर जायेंगे
गर्दिशे गरदाब में डूबे तो परवा नहीं
बहरे हस्ती में नई पैदा लहर कर जायेंगे
क्या कुचलते है समझ कर वह हमें बर्गे हिना
अपने खूं से हाथ उनके तर बतर कर जायेंगे
नकशे पर है क्या मिटाता तू हमें पीरे फलक
रहबरी का काम देंगे जो गुजर कर जायेंगे
-राम प्रसाद बिस्मिल
23. Yeh Sabab Hai Jo – यह सबब है जो | Desh Bhakti Kavita
यह सबब है जो हमारी वो खबर रखते नहीं,
बेअसर नाले हैं कुछ ऐसा असर रखते नहीं।
ख़ान:-ए-सय्याद से उड़कर, चमन तक जाएं क्या,
हम तो अपने बाजुओं में बालो-पर रखते नहीं।
सर हथेली पर लिए हैं सरफरोशाने-वतन,
तन से जो उतरे न सर, ऐसा वो सर रखते नहीं।
इस तरह तुम हो गए हो किस लिए यूं बेखबर,
सब की रखते हो खबर मेरी खबर रखते नहीं।
बेहुनर हो कर हुए मशहूर ‘बिस्मिल’ किस तरह,
सच तो यह है वो कोई ऐसा हुनर रखते नहीं।
-राम प्रसाद बिस्मिल
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