Best motivational poem in hindi की खोज? यहां पढ़ें शीर्ष 18 सबसे अधिक प्रिय प्रेरक कविता। अपने लक्ष्यों में आगे बढ़ने के लिए और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करें।
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1. कदम मिलाकर चलना होगा
Kadam Milakar Chalna Hoga motivational poem
बाधाएं आती हैं आएं
घिरे प्रलय की घोर घटाएं
पावों के नीचे अंगारे
सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं
निज हाथों से हंसते-हंसते
आग लगाकर जलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
हास्य-रूदन में, तूफानों में
अगर असंख्य बलिदानों में
उद्यानों में, वीरानों में
अपमानों में, सम्मानों में
उन्नत मस्तक, उभरा सीना
पीड़ाओं में पलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
उजियारे में, अंधकार में
कल कछार में, बीच धार में
घोर घृणा में, पूत प्यार में
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में
जीवन के शत-शत आकर्षक
अरमानों को दलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ
प्रगति चिरंतन कैसा इति अथ
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ
असफ़ल, सफ़ल समान मनोरथ
सब कुछ देकर कुछ न मांगते
पावस बनकर ढलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
कुछ कांटों से सज्जित जीवन
प्रखर प्यार से वंचित यौवन
नीरवता से मुखरित मधुबन
पर-हित अर्पित अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आहुति में
जलना होगा, गलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
कवि – स्व.अटल बिहारी वाजपेयी | Late Atal Bihari Vajpayee
2. कोशिश कर हल निकलेगा
Koshish Kar Hal Niklega Hindi Motivational Poem
कोशिश कर, हल निकलेगा
आज नहीं तो, कल निकलेगा.
अर्जुन के तीर सा सध
मरूस्थल से भी जल निकलेगा.
मेहनत कर, पौधों को पानी दे
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा.
ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे
फ़ौलाद का भी बल निकलेगा
जिंदा रख, दिल में उम्मीदों को
गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा.
कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की
जो है आज थमा-थमा सा, चल निकलेगा
कवि – आनंद परम | Anand Param
3. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
Koshish Karne Walon Ki Kabhi Haar Nahin Hoti motivational poem
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चढ़ती है
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फ़िसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
मेहनत उसकी बेकार नहीं हर बार होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है
जा-जा कर खाली हाथ लौट कर आता है
मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
असफ़लता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद-चैन को त्यागो तुम
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
कवि – सोहनलालद्विवेदी | Sohan Lal Dwivedi
4. रुके न तू, थके न तू
Ruke Na Tu, Thake Na Tu Hindi Motivational Poem
धरा हिला, गगन गुंजा
नदी बहा, पवन चला
विजय तेरी, विजय तेरी
ज्योति सी जल, जला
भुजा-भुजा, फड़क-फड़क
रक्त में धड़क-धड़क
धनुष उठा, प्रहार कर
तू सबसे पहला वार कर
अग्नि सी धधक-धधक
हिरन सी सजग-सजग
सिंह सी दहाड़ कर
शंख सी पुकार कर
रुके न तू, थके न तू
झुके न तू, थमे न तू
सदा चले, थके न तू
रुके न तू, झुके न तू
कवि – स्व.हरिवंश राय बच्चन | Late Harivansh Rai Bachchan
5. चलना हमारा काम है
Chalna Hamara Kaam Hai Best Motivational Poems
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूं दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक मंजिल न पा सकूं
तब तक मुझे न विराम है
चलना हमारा काम है.
कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बंट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गई
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूं
राही हमारा नाम है
चलना हमारा काम है.
जीवन अपूर्ण लिए हुए
पाता कभी खोता कभी
आशा निराशा से घिरा
हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरूद्ध
इसका ध्यान आठो याम है
चलना हमारा काम है.
इस विषद विश्व-प्रहार में
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुःख हमारी ही तरह
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूं
मुझ पर विधाता वाम है
चलना हमारा काम है.
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोड़ा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है
चलना हमारा काम है.
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रुकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम
उसी की सफ़लता अभिराम है
चलना हमारा काम है.
फ़कत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया
मूंदकर पलकें सहज
दो घूंट हँसकर पी गया
सुधा-मिक्ष्रित गरल
वह साकिया का जाम है
चलना हमारा काम है.
कवि –शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ | Shiv Mangal Singh ‘Suman’
MOTIVATIONAL POEM IN HINDI | MOTIVATIONAL POEM
Motivational Hindi Kavita (मोटिवेशनल हिंदी कविता )
6. नर हो, न निराश करो मन को
Nar Ho, Na Nirash Karo Man Ko | motivational poem in hindi
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रहकर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को.
संभलो कि सुयोग न जाय चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न गिरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलंबन को
नर हो, न निराश करो मन को.
जब प्राप्त तुम्हें सब तत्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो, न निराश करो मन को.
निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
मरणोत्तर गुंजित गान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो, न निराश करो मन को.
प्रभु ने तुमको कर दान किए
सब वांछित वस्तु विधान किए
तुम प्राप्त करो उनको न अहो
फिर है यह किसका दोष कहो
समझो न अलभ्य किसी धन को
नर हो, न निराश करो मन को.
किस गौरव के तुम योग्य नहीं
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं
जान हो तुम भी जगदीश्वर के
सब है जिसके अपने घर के
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को
नर हो, न निराश करो मन को
करके विधि वाद न खेद करो
निज लक्ष्य निरंतर भेद करो
बनता बस उद्यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो.
कवि – स्व. मैथलीशरणगुप्त | Late Maithili Sharan Gupt
7. हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
Ho Gai Hai Peer Parvat Si Pighalani Chahiye | motivational poem in hindi
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
कवि – दुष्यंत कुमार | Dushyant Kumar
8. चल सको तो चलो
Chal Sako To Chalo Motivatinal Poem In Hindi
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो
इधर-उधर कई मंजिल है, चल सको तो चलो
बने बनाये हैं साँचे, जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम संभल सको तो चलो
यही है जिंदगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें
इन्हें खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर एक सफ़र को है मह्फूज़ रास्तों की तलाश
हिफाज़तों की रिवायत बदल सको, तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ-धुआँ है फिज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको, तो चलो.
कवि – निदाफ़ाज़ली | Nida fazli
9. तुम तो हारे नहीं तुम्हारा मन क्यों हारा है
Tum To Hare Nahin Tumhara Man Kyon Hara Hai | motivational poem in hindi
तुम तो हारे नहीं तुम्हारा मन क्यों हारा है?
कहते हैं ये शूल चरण में बिंधकर हम आए
किंतु चुभे अब कैसे जब सब दंशन टूट गए
कहते हैं पाषाण रक्त के धब्बे हैं हम पर
छाले पर धोएं कैसे जब पीछे छूट गए
यात्री का अनुसरण करें
इसका न सहारा है!
तुम्हारा मन क्यों हारा है?
इसने पहिन वसंती चोला कब मधुबन देखा?
लिपटा पग से मेघ न बिजली बन पाई पायल
इसने नहीं निदाघ चाँदनी का जाना अंतर
ठहरी चितवन लक्ष्यबद्ध, गति थी केवल चंचल!
पहुँच गए हो जहाँ विजय ने
तुम्हें पुकारा है!
तुम्हारा मन क्यों हारा है?
कवित्री – स्व.महादेवी वर्मा | Late Mahadevi Verma
10. वीर VEER
Best Motivational Poem In Hindi
सच है, विपत्ति जब आती है
कायर को ही दहलाती है
सूरमा नहीं विचलित होते
क्षण एक नहीं धीरज खोते
विघ्नों को गले लगाते हैं
कांटों में राह बनाते हैं
मुँह से कभी उफ़ न कहते हैं
संकट का चरण न गहते हैं
जो आ पड़ता सब सहते हैं
उद्योग-निरत नित रहते हैं
शूलों का मूल नसाते हैं
बढ़ ख़ुद विपत्ति पर छाते हैं
है कौन विघ्न ऐसा जग में
टिक सके आदमी के मग में?
ख़म ठोक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाँव उखड़
मानव जब ज़ोर लगाता है
पत्थर पानी बन जाता है
गुण बड़े एक से एक प्रखर
है छिपे मानवों के भीतर
मेहंदी में जैसे लाली हो
वर्तिका बीच उजियाली हो
बत्ती जो नहीं जलाता है
रोशनी नहीं वह पाता है
कवि – स्व.रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | Late Ramdhari Singh Dinkar
11. बढ़े चलो, बढ़े चलो | Motivational poem in Hindi
Badhe Chalo Badhe Chalo Motivational Poem
न एक हाथ शस्त्र हो
न हाथ एक अस्त्र हो
न अन्न वीर वस्त्र हो
हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
रहे समक्ष हिम-शिखर
तुम्हारा प्रण उठे निखर
भले ही जाए जन बिखर
रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
घटा घिरी अटूट हो
अधर में कालकूट हो
वही सुधा का घूंट हो
जिये चलो, मरे चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो
गगन उगलता आग हो
छिड़ा मरण का राग हूँ
लहू का अपने फाग हो
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
चलो नई मिसाल हो
जलो नई मशाल हो
झुको नहीं, रुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
अशेष रक्त तोल दो
स्वतंत्रता का मोल दो
कड़ी युगों की खोल दो
डरो नहीं, मरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
कवि – सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi
12. सपनों में उड़ान भरो
Sapno Mein Udaan Bharo | motivational poem in hindi
कुछ काम करो,
न मन को निराश करो
पंख होंगे मजबूत,
तुम सपनों में साहस भरो,
गिरोगे लेकिन फिर से उड़ान भरो,
सपनों में उड़ान भरो।
तलाश करो मंजिल की,
ना व्यर्थ जीवनदान करो,
जग में रहकर कुछ नाम करो,
अभी शुरुआत करो,
सुयोग बीत न जाए कहीं,
सपनों में उड़ान भरो।
समझो खुद को,
लक्ष्य का ध्यान करो,
यूं ना बैठकर बीच राह में,
मंजिल का इंतजार करो,
संभालो खुद को यूं ना विश्राम करो,
सपनों में उड़ान भरो।
उठो चलो आगे बढ़ो,
मन की आवाज सुनो,
खुद के सपने साकार करो,
अपना भी कुछ नाम करो,
इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करो,
सपनों में उड़ान भरो।
बहक जाएं गर कदम,
तो गुरु का ध्यान करो,
तुम पा ना सको ऐसी कोई मंजिल नहीं,
हार जीत का मत ख्याल करो,
अडिग रहकर लक्ष्य का रसपान करो,
सपनों में उड़ान भरो।
कवि – नरेंद्र वर्मा
MOTIVATIONAL POEM | MOTIVATIONAL POEM IN HINDI
Motivational Poems ( मोटिवेशनल कविता )
13. कर्मवीर
Karamveer Hindi Motivational Poem
देख कर बाधा विविध, बहु विघ्न घबराते नहीं।
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नही
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं।।
हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले।।
आज करना है जिसे करते उसे हैं आज ही
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही
मानते जो भी है सुनते हैं सदा सबकी कही
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही
भूल कर वे दूसरों का मुँह कभी तकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।
जो कभी अपने समय को यों बिताते है नहीं
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं
आज कल करते हुए जो दिन गँवाते है नहीं
यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं
बात है वह कौन जो होती नहीं उनके लिये
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिये।।
व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर
वे घने जंगल जहां रहता है तम आठों पहर
गर्जते जल राशि की उठती हुई ऊँची लहर
आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लपट
ये कंपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं
भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।
कवि – अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
14. वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है
Wah Pradeep Jo Dikh Raha Hai, Jhilmil Dur Nahi Hai | motivational poem in hindi
वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल, दूर नहीं है;
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।
चिनगारी बन गई लहू की
बूँद गिरी जो पग से;
चमक रहे, पीछे मुड़ देखो,
चरण – चिह्न जगमग – से।
शुरू हुई आराध्य-भूमि यह,
क्लान्ति नहीं रे राही;
और नहीं तो पाँव लगे हैं,
क्यों पड़ने डगमग – से?
बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नहीं है;
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।
अपनी हड्डी की मशाल से
हॄदय चीरते तम का,
सारी रात चले तुम दुख
झेलते कुलिश निर्मम का।
एक खेय है शेष किसी विधि
पार उसे कर जाओ;
वह देखो, उस पार चमकता
है मन्दिर प्रियतम का।
आकर इतना पास फिरे, वह सच्चा शूर नहीं है,
थककर बैठ गये क्या भाई! मंजिल दूर नहीं है।
दिशा दीप्त हो उठी प्राप्तकर
पुण्य-प्रकाश तुम्हारा,
लिखा जा चुका अनल-अक्षरों
में इतिहास तुम्हारा।
जिस मिट्टी ने लहू पिया,
वह फूल खिलायेगी ही,
अम्बर पर घन बन छायेगा
ही उच्छवास तुम्हारा।
और अधिक ले जाँच, देवता इतना क्रूर नहीं है।
थककर बैठ गये क्या भाई ! मंजिल दूर नहीं है।
कवि – रामधारीसिंह “दिनकर”
15. पथ की पहचान
Paath Ki Pechaan Motivational Poem
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले
पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी,
हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की ज़बानी,
अनगिनत राही गए इस राह से, उनका पता क्या,
पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी,
यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है,
खोल इसका अर्थ, पंथी, पंथ का अनुमान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
है अनिश्चित किस जगह पर सरित, गिरि, गह्वर मिलेंगे,
है अनिश्चित किस जगह पर बाग वन सुंदर मिलेंगे,
किस जगह यात्रा ख़तम हो जाएगी, यह भी अनिश्चित,
है अनिश्चित कब सुमन, कब कंटकों के शर मिलेंगे
कौन सहसा छूट जाएँगे, मिलेंगे कौन सहसा,
आ पड़े कुछ भी, रुकेगा तू न, ऐसी आन कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
कौन कहता है कि स्वप्नों को न आने दे हृदय में,
देखते सब हैं इन्हें अपनी उमर, अपने समय में,
और तू कर यत्न भी तो, मिल नहीं सकती सफलता,
ये उदय होते लिए कुछ ध्येय नयनों के निलय में,
किन्तु जग के पंथ पर यदि, स्वप्न दो तो सत्य दो सौ,
स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
स्वप्न आता स्वर्ग का, दृग–कोरकों में दीप्ति आती,
पंख लग जाते पगों को, ललकती उन्मुक्त छाती,
रास्ते का एक काँटा, पाँव का दिल चीर देता,
रक्त की दो बूँद गिरतीं, एक दुनिया डूब जाती,
आँख में हो स्वर्ग लेकिन, पाँव पृथ्वी पर टिके हों,
कंटकों की इस अनोखी सीख का सम्मान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
यह बुरा है या कि अच्छा, व्यर्थ दिन इस पर बिताना,
अब असंभव छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना,
तू इसे अच्छा समझ, यात्रा सरल इससे बनेगी,
सोच मत केवल तुझे ही यह पड़ा मन में बिठाना,
हर सफल पंथी यही विश्वास ले इस पर बढ़ा है,
तू इसी पर आज अपने चित्त का अवधान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।
कवि – हरिवंशराय बच्चन
16. झुक नहीं सकते | Motivational Poem in Hindi
Jhunk Nahi Sakte motivational poems
सत्य का संघर्ष सत्ता से
न्याय लड़ता निरंकुशता से
अंधेरे ने दी चुनौती है
किरण अंतिम अस्त होती है
दीप निष्ठा का लिये निष्कंप
वज्र टूटे या उठे भूकंप
यह बराबर का नहीं है युद्ध
हम निहत्थे, शत्रु है सन्नद्ध
हर तरह के शस्त्र से है सज्ज
और पशुबल हो उठा निर्लज्ज
किन्तु फिर भी जूझने का प्रण
अंगद ने बढ़ाया चरण
प्राण–पण से करेंगे प्रतिकार
समर्पण की माँग अस्वीकार
दाँव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते
कवि – हरिवंशरायबच्चन
MOTIVATIONAL POEM IN HINDI | MOTIVATIONAL POEM
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17. सरफ़रोशी की तमन्ना
Sarfroshi Ki Tammana motivational poems
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है l
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आस्माँ ! हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है l
एक से करता नहीं क्यों दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है।
रहबरे-राहे-मुहब्बत ! रह न जाना राह में, लज्जते-सेहरा-नवर्दी दूरि-ए-मंजिल में है।
अब न अगले वल्वले हैं और न अरमानों की भीड़, एक मिट जाने की हसरत अब दिले-‘बिस्मिल’ में है ।
ए शहीद-ए-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है।
खींच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है l
है लिये हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर, और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर।
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
हाथ जिनमें हो जुनूँ, कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से,
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
हम तो निकले ही थे घर से बाँधकर सर पे कफ़न, जाँ हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम।
जिन्दगी तो अपनी महमाँ मौत की महफ़िल में है, सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
यूँ खड़ा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार, क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है l
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है l
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज।
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है ! सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है ।
जिस्म वो क्या जिस्म है जिसमें न हो खूने-जुनूँ, क्या वो तूफाँ से लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है l
कवि – बिस्मिल अज़ीमाबादी
18. जो बीत गई सो बात गई | Motivational Poem in Hindi
Jo Bith Gai Wo Baat Gai motivational poem
जीवन में एक सितारा था, माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया, अंबर के आंगन को देखो
कितने इसके तारे टूटे, कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले, पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है, जो बीत गई सो बात गई ,
जीवन में वह था एक कुसुम, थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया, मधुबन की छाती को देखो
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ, मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं, पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है,जो बीत गई सो बात गई ,
जीवन में मधु का प्याला था, तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया, मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं, गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं, पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है, जो बीत गई सो बात गई ,
मृदु मिट्टी के बने हुए, मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन ले कर आए हैं, प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मदिरालय के अन्दर, मधु के घट हैं, मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं, वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है, जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ, कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई !
कवि – हरिवंश राय बच्चन
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